फोर्टी ईयर्स बैक फॉर 10 मिनट्स - 1 Neerja Pandey द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

फोर्टी ईयर्स बैक फॉर 10 मिनट्स - 1


फोर्टी ईयर्स बैक फॉर 10 मिनट्स


पात्र
~मनु
~सिया
~जिया (सिया की बहन)




हर दिन की तरह आज भी सिया चाय पीने के बाद अपने बगीचे में बैठी थी।
सुंदर फूलों और खुशबूदार बेलों से भरे बगीचे में रहना उसको बहुत पसंद था। वो अक्सर अपना समय यहां बीताती थी। रंग बिरंगे पंछियों को एक टक देखना, उनकी आवाज़ें सुन के खुश हो जाना और फिर ना जाने किस खयाल में खो जाना।
तभी ठक -ठक की आवाज़ सुन कर उसकी नजर पीछे मुड़ी। चश्मा सही करते हुए वो पहचानने की कोशिश करने लगी । पर लाख कोशिश करने के बाद भी वो पहचानने कि हर कोशिश में नाकाम रही । तभी सामने आते हुए मनु ने मुस्कुराते हुए बोला "कैसी हो सिया.?"
पर सिया ना जाने किस सोच में गुम थी।
मनु ने उसके कंधे पे हाथ रखते हुए बोला " कहां खोई हुई हो सिया?"
सिया ने संकोच करते हुए कहा "अरे कहीं नहीं बस ऐसे ही..
"
मनु ने आसुं भरी हुई आखों को छुपाते हुए बोला " मैं मनु हूं सिया.!"
सिया ने फिर संकोच करते हुए बोला " मैं पहचान तो रही हूं पर थोड़ा सा भूल गई हूं, थोड़ा और परिचय दो तब याद आ जाएगा"।
मनु की आंखों से एक बूंद आसुं टपक के उसके गालों पे आ गया, उसने तुरंत ही अपना चेहरा दूसरी और घुमा के जल्दी से आसुं को पोछा और इस बात का एहसास सिया को ज़रा भी ना होने दिया।
फिर मनु ने
बगल में रखी हुई कुर्सी को अपनी तरफ खीचकर बैठ गया।
फिर मनु ने पूछा "सिया तुमने दोपहर कि दवाई खाई .?"
सिया ने फिर से याद करना शुरू किया की उसने दवाई ली थी या नहीं। फिर वो याद करने की भरसक कोशिश करने के बाद भी याद ना आने पर दुखी हो गई।
लेकिन मनु ने उसको उदास होता हुए देख कर बोला "कोई बात नहीं सिया, मै जिया से पूछ लूंगा।"
उसने जिया को आवाज़ लगाई। "जिया.."
जिया बाहर आते हुए ही बोल उठी "हां मनु, मैंने दवाई दे दी है। "
उसने चाय की ट्रे रखते हुए पूछा "तुम कैसे हो मनु.?"
मनु ने सिया की तरफ देखते हुए बोला " मै भी बस ठीक ही हूं."
जिया ने सिया के बालों को समेटते हुए बोला "सिया ये मनु है तुम्हारा सबसे अच्छा दोस्त। जिसके साथ हम बचपन में खेला करते थे। जिसके साथ तुम अपने सारे खिलौने बांट कर खेलती थी और मुझे देखने को भी नहीं देती थी।

सिया सब चुप चाप सुन रही थी और उधेड़बुन में लगी हुई थी।
तभी उसकी नजर मनु के हाथ पर गई।
मनु ने अपना हाथ आगे करते हुए अपनी दोनों मुट्ठी बन्द करके सिया से बोला " एक मुट्ठी चुनो सिया..!!"
सिया को ये खेल बेहद पसंद था वो एकदम बच्चे की तरह खुश ही जाती थी।

उसने जोर से हस्ते हुए दाहिनी मुट्ठी पर हाथ रखते हुए बोला कि "मै ये वाली लूंगी"
और फिर उसकी उत्सुकता और खुशी से भरी हुई नज़रें बस मुट्ठी पर का टिकी।
मनु ने मुट्ठी झट से खोल दी तो सिया का खुशी का ठिकाना ना रहा।
उसमे उसकी पसंदीदा कैंडी थी। जो हर रोज इसी तरह उसको मनु ला के देता था। और वो हर रोज एक मुट्ठी चुनती थी और मनु दोनों मुट्ठी में कैंडी रखता था। पर ये राज़ सिया को नहीं पता था।



.......आगे पढ़े अगले भाग में।🙏🙏